ग्रहों के उदय अस्त काल के अंश

एकादशामरेंगस्य तिथिसंख्याSर्कजस्य तु।
कालांशा भूमिपुत्रस्य दश सप्ताधिकास्तथा॥
पश्चादस्तमयोSष्टाभि: उदय: प्रांमहत्तया।
प्रागस्तमुदय: पश्चाद् अल्पत्वाद्दशभि: भृगो:॥

Comments

Popular posts from this blog

साधन चतुष्टय वेदांत दर्शन के अधिकारी(Four Qualifications of Vedant Philosophy)

यज्ञ करने का विधान

अपरा विद्या और परा विद्या(अध्यात्म विद्या) (Physics and Meta Physics)