आधुनिक काल में होम(यज्ञ) करने की मुख्य तीन विधियां

आधुनिक समय में हमारे वैदिक धर्म में होम (हवन) करने की तीन पद्धतियां प्रचलित है:
1. कुशकण्डिका विधि (पारस्कर गृह्य सूत्र एवं  शतपथ ब्राह्मण में  वर्णित)
2. अग्निस्थापना विधि (नेपाली होम विधि)
3. हवन पद्धति (श्री वैष्णव सम्प्रदाय विधि)

1. सनातन वैदिक धर्म में श्रौत-स्मार्त हवन करने के लिये सबसे ज्यादा प्रचलित एवं पुरानी विधि '' कुशकण्डिका विधि ''  है। सम्पूर्ण भारत देश में एक दिन के सामान्य होम का तथा गर्भाधान आदि 16 संस्कार स्मार्त यज्ञों का सम्पादन  पारस्कर गृह्यसूत्र में वर्णित विधि एवं कुशकण्डिका विधि से किया जाता है। वैदिक कर्मकाण्ड के सबसे प्राचीन शास्त्रीय ग्रन्थ '' पारस्कर गृह्य सूत्र '' में कुशकण्डिका विधि तथा गर्भाधान,  नामकरण आदि 16 स्मार्त संस्कार यज्ञों का सम्पादन  तथा '' शतपथ ब्राह्मण '' में अधिक दिनों-महीनों तक चलने वाले विशाल श्रौत यज्ञों-महायज्ञों को सम्पादन करने की विधि का विस्तार से वर्णन है। सनातन वैदिक धर्म में भगवान गणेशजी की स्थापना- अग्रपूजा और ईशान कोण में रूद्र कलश पर अहंकार के अधिष्ठाता भगवान शिवजी की स्थापना एवं पूजा करने का विधान है। कुशकण्डिका विधि से होम करने के लिये ज्योतिष शास्त्र  में वर्णित '' अग्नि वास ''  का विचार करने की आवश्यकता नहीं है॥

2. नेपाल देश मे सनातन वैदिक धर्म के अनुयायी '' अग्निस्थापना विधि '' से होम करते हैं। नेपाली नागरिक एक दिन का सामान्य होम तथा गर्भाधान, न्वारन(नामकरण), उपनयन(व्रतबन्ध), विवाह आदि 16 संस्कार स्मार्त यज्ञों में '' अग्निस्थापना विधि '' से कर्म तथा होम करते हैं। अग्निस्थापना विधि से होम करने के लिये ज्योतिष शास्त्र में वर्णित '' अग्निवास ''  का विचार करना आवश्यक है। नेपाली अग्निस्थापना विधि से मात्र एक दिन का सामान्य होम तथा विवाह आदि  संस्कारों का सम्पादन किया जा सकता है। परन्तु बहुत दिनों तक चलने वाले विशाल श्रौत यज्ञों-महायज्ञों  का सम्पादन करना नेपाली अग्निस्थापना विधि से सम्भव नहीं है। '' अग्निस्थापना विधि  '' नामक पुस्तक में विशाल श्रौत यज्ञों-महायज्ञों को सम्पादन करने की विधि का कोई वर्णन नहीं है।

3. श्रीवैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायी '' हवन पद्धति '' नामक पुस्तक के आधार पर होम करते हैं। श्रीवैष्णव एक दिन के सामान्य होम तथा गर्भाधान, नामकरण आदि 16 संस्कार के यज्ञों का सम्पादन, और श्रौत यज्ञों-महायज्ञों का सम्पादन '' हवन पद्धति '' के अनुसार करते हैं। श्री वैष्णव सम्प्रदाय की '' हवन पद्धति '' के अनुसार गणेश जी की स्थापना एवं अग्रपूजा नहीं होती है। श्री वैष्णव गणेश जी की स्थापना एवं पूजा नहीं करते। '' हवन पद्धति '' के अनुसार गणेश जी के स्थान पर भगवान विष्णु के वैष्णवी सेना के सेनापति '' विश्वक्सेन '' की स्थापना एवं अग्रपूजा करने का विधान है। यज्ञमंडप के चार दिशाओं में भूमि, अनन्त, कूर्म एवं वराह की स्थापना और पूजा करने का विधान है। हवनकुण्ड के बाहर  पूर्व आदि आठ दिशाओं में अष्ट वसुओं की स्थापना एवं  पूजा करने का विधान है। श्रीवैष्णव ईशान कोण में रुद्र कलश के ऊपर अहंकार के अधिष्ठाता भगवान  शिवजी की स्थापना एवं पूजा नहीं करते। श्रीवैष्णव ईशान कोण में शिवजी के स्थान पर अहंकार के अधिष्ठाता भगवान संकर्षण(शेष जी) की स्थापना एवं पूजा करते हैं॥

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