विद्वान हरु को टीका-टिप्पणी को उत्तर

संस्कृत व्याकरण का मर्मज्ञ र श्रीमद भागवत महापुराण को मूल पाठ कण्ठस्थ गर्नु भयेका मूर्धन्य विद्वान पंडित श्री वासुदेव पोखरेल ज्यू ले विवाह गर्नु भयो। विवाह को बेला मा अथवा फ़ोटो खिचाऊने बेला मा उहाँ ले पैन्ट शर्ट र टाई लगाऊनु भयो। तर नेपाल का एक अथवा दुई विद्वान हरु ले पण्डित वासुदेव पोखरेल ज्यू को फेसबुक फ़ोटो मा टिप्पणी गर्नु भयो ' ' वासुदेव गुरु जी ले टाई किन लगाऊनु भयो? यो भेषभूषा राम्रो होईन, उहाँ ले टाई लगाऊनु हुदैन' '  एस्तो खाल को टिप्पणी गर्ने विद्वान हरु को अध्ययन मा निकै कमी कमजोरी छ।

काक: कृष्ण: पिक: कृष्ण: को भेद: पिक काकयो:।
वसन्त   समये  प्राप्त:    काक: काक: पिक: पिक:॥

अर्थ: कौवा  काला होता है, कोयल भी काली होती है।  कौवा और कोयल में क्या अन्तर है? जब वसन्त ऋतु का समय आता है और कोयल मीठे स्वर में गाने लगती है तब कोयल की पहचान होती है, कौवा का स्वर कर्कश होता है और कोयल का स्वर मधुर होता है। मधुर बोली के कारण कोयल की पहचान होती है।  उसी प्रकार बगुला सफेद होता है हंस भी सफेद होता है। बगुला औऱ हंस में क्या अन्तर है? यदि दूध औऱ पानी मिलाकर रखा दिया जाये तो बगुले को दूध और पानी को अलग-अलग करने का ज्ञान नहीं है परन्तु हंस दूध एवं पानी को अलग-अलग करने का ज्ञान रखता है तब हंस की पहचान होती है। सिर्फ़ रंग और भेषभूषा से विद्वान  पण्डित की पहचान नहीं होती।  पण्डित की पहचान उनके ज्ञान, मन्त्र उच्चारण और विद्वत्ता, सज्जनता से होती है॥ धोती कुर्ता या कुर्ता-सूरूवाल पहनने मात्र से कोई मूर्ख व्यक्ति पण्डित या विद्वान नहीं हो सकता।

विद्वान पण्डित भेषभूषा ले गर्दा कूनै पनि सन्त, सज्जन व्यक्ति अथवा विद्वान पण्डित ज्यू को  स्वतन्त्र निजी जीवन शैली, पारिवारिक जीवन मा हस्तक्षेप गर्ने, फेसबुक फोटो मा नाराम्रो टीका टिप्पणी गर्ने विद्वान  गुरुजी हरु लाई अधिकार छैन॥ गुरुजी ले फेसबुक मा  सुझाव दिने बेला मा वासुदेव पोखरेल गुरुजी लाई सन्देश  पठायेर पनि सुझाव दिन सक्नु हुन्थियो। वर्तमान समय मा विद्वान गुरु जी ले आफ्ना छोरा-छोरी लाई आफ्नो नियन्त्रण मा राख्न सक्नु हून्न। फोटो मा  टीका-टिप्पणी गर्ने विद्वान गुरू जी ले आफ्ना छोरा-छोरी लाई इंग्लीश बोर्डिंग स्कूल-कॉलेज मा पढ़्न को लागि पठाउनु हुदैन थियो र छोरा-छोरी लाई पैन्ट--शर्ट-भेस्ट लाउनू दीनु हूदैन। अहिले को समय मा इंग्लीश भाषा र कंप्यूटर को ज्ञान अनिवार्य छ। स्वामी विवेकानन्द र स्वामी रामतीर्थ जस्ता विद्वान हरु ले पनि अमेरिका गयेर कोट-पैन्ट धारण गर्नु भयो एवं  इंग्लीश भाषा मा प्रवचन गरेर सम्पूर्ण विश्व लाई वैदिक धर्म को ज्ञान प्रदान गर्नु भयो॥ अंग्रेजी भाषा गाई खाने भाषा होईन। अंग्रेजी भाषा को माध्यम बाट हामी सम्पूर्ण विश्व लाई वैदिक ज्ञान दिन सक्छौ र  वैदिक धर्म को विजय गर्न सक्छौ। कुनै पनि भेषभूषा र भाषा लाई हेय दृष्टि लाई हेर्नु हूदैन॥

Comments

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