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देव शयन के चार महीनों तथा विशेष रूप से कार्तिक मास में विवाहों का निषेधों

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देव शयन के चार महिनों में विवाह का निषेध है। आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल दशमी तक ये चार महीने देव शयन के हैं। आषाढ़ शुक्ल एकादशी का नाम देवशयनी एकादशी है। देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है,  अत: चातुर्मास काल में विवाह निषेध है। कार्तिक मास में विवाह नहीं करना चाहिये। कार्तिक मास में सूर्य तुला राशि का होता है। तुला राशि में सूर्य नीच का होता है इसीलिए कार्तिक का सूर्य नीच राशि का होता है, इसीलिए विशेष रूप से कार्तिक मास में विवाह निषेध है। अमावस्या तिथि श्राद्ध एवं पितृ कार्य के लिये उत्तम मानी जाती है। इसीलिए कोई भी शुभ कार्य अमावस्या तिथि में नहीं करना चाहिये। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार  अमावस्या तिथि में विवाह संस्कार आदि कोई भी शुभ संस्कार नहीं करना चाहिये। कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन भगवती महालक्ष्मी का पूजन होता है। परंतु कार्तिक कृष्ण अमावस्या दीपावली के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं इसीलिए चंद्रमा उस दिन अस्त होता है। जब चंद्रमा, बृहस्पति और शुक्र अस्त हो उस समय विवाह नहीं करना चाहिये। अमावस्या के दिन चंद्रमा अस्त होता है,

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नाड़ी दोष का वैज्ञानिक रहस्य एवं फल

आद्या नाड़ी वरम् हन्ति, मध्या नाड़ी च कन्यकाम्। अन्त्या नाड़ी द्वयोर्हन्ति,  नाड़ी दोषम् त्यजेद् बुध:॥ आयुर्वेद विज्ञान(Medical Science) के अनुसार हमारे दोनों हाथों के पास कलाई में मणिबंध रेखा के पास नाड़ियां होतीं हैं। आयुर्वैदिक वैद्य हमारे शरीर के रोगों का पता लगाने के लिये नाड़ी परीक्षण करते हैं और रोगों का पता लगाते हैं। इन नाड़ियों का हमारे शरीर के हृदय आदि अन्य सभी अंगों से सीधा सम्बन्ध होता है॥ ज्योतिष विज्ञान के अनुसार(According to Astrology)नाड़ी तीन प्रकार की होती है: 1. आद्या नाडी 2. मध्या नाड़ी 3. अन्त्या नाड़ी॥ इन तीन नाड़ियों(nerves) के द्वारा ही शरीर के सभी अंगों में रक्त का प्रवाह(Blood Circulation) होता है। वैसे तो मनुष्य़ शरीर में बहत्तर करोड नाड़ियां हैं। परंतु हम सभी मनुष्यों के हाथ के पास कलाई में मणिबंध रेखा के पास मुख्य रूप से तीन नाड़ियां होती हैं। महर्षि पतंजलि के योग दर्शन के अनुसार(According to Yoga Philosophy) हमारे शरीर में 72 करोड़ नाड़ियों में से तीन नाड़ियां मुख्य हैं: 1.इडा नाड़ी 2. पिंगला नाड़ी  3. सुषुम्ना नाड़ी॥ योग की इन्हीं तीन नाड़ियों को ज्योतिष शास्त्र में आद्या,

सूर्य आदि सात ग्रहों की उच्च एवं नीच राशि

रविर्मेषे     तुले नीचौ,      वृषे चन्द्रस्तु वृश्चिके। भौमश्च मकरे कर्के च, स्त्रियां सौम्यां झषस्तथा॥ गुरु कर्के च   मकरे च ,  मीने कन्ये सितस्य च। मंदस्तुलायाम् मेषे च॥   स्त्रियां को अर्थ कन्या राशि(Virgo), सौम्य को अर्थ सोमस्य पुत्र अर्थात बुध(Mercury),  झष को अर्थ  मीन राशि(Pisces), सित को अर्थ शुक्र(Venus), मन्द को अर्थ शनि(Saturn)॥ सूर्य मेष राशि मा उच्च को हुन्छ र तुला राशि मा नीच को हुन्छ। चंद्रमा वृष राशि मा उच्च को र वृश्चिक राशि मा नीच को हुन्छ। मंगल मकर राशि मा उच्च को र कर्क राशि मा नीच को हुन्छ । बुध कन्या राशि मा  उच्च को र मीन राशि मा नीच को हुन्छ। बृहस्पति कर्क राशि मा उच्च को र मकर राशि मा नीच को हुन्छ। शुक्र मीन राशि मा उच्च को र कन्या राशि मा नीच को हुन्छ।  शनि  तुला राशि मा उच्च को र मेष राशि मा नीच को हुन्छ॥