धन का महत्व (Importance of money)

माता निन्दति नाभिनन्दति पिता भ्राता न सम्भाषते
भृत्य कुप्यति नानुगच्छति सुत कान्ता च नालिंग्यते।
अर्थ प्रार्थन शंकया  न  कुरुते   सम्भाषणं वै सुहृत्
तस्मात् द्रव्यमुपार्जयस्व    सुमते द्रव्येण सर्वे वसा: ॥

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