इस संसार का अन्तिम सत्य
धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे नारी गृहद्वार जन: श्मशाने।
देहश्चितायां परलोक मार्गे कर्मानुगो गच्छति जीव एक:॥
जब मनुष्य की मृत्यु होती है उस समय उसके द्वारा कमाया हुआ धन-सम्पत्ति, सोना-चाँदी, हीरा-मोती, आभूषण-गहने-जेवर, खेत-जमीन-घर-फ्लैट-कोठी- बंगला आदि इस भूमि में पड़ा रह जाता है। पशु आदि, गाड़ी-बाईक-कार वाहन आदि भी घर के गोष्ठ में पड़े रह जाते हैं। जिस पत्नी से मनुष्य़ बहुत प्रेम करता था अपनी पत्नी में बहुत आसक्त था वह पत्नी भी घर के द्वार तक ही साथ जाती है। परिवार के सभी सदस्य, इष्ट मित्र, बन्धु-बान्धव, पड़ोसी भी श्मशान तक ही साथ जाते हैं। मनुष्य का अपना शरीर भी चिता की अग्नि में जलकर भस्म हो जाता है। केवल मनुष्य के किये गये कर्म ही उसके साथ जाते हैं। जीव इस संसार में खाली हाथ आया था और अन्त में मृत्यु के बाद ख़ाली हाथ जाता है, अपने साथ कुछ भी लेकर नहीं जाता यहाँ तक की अपना शरीर भी साथ में लेकर नहीं जा सकता। अन्त में जीव को अकेले ही जाना पड़ता है॥ यही संसार का अन्तिम सत्य है॥ इसीलिये मनुष्य को संसार के किसी भी वस्तु में आसक्त नहीं होना चाहिये॥
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