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ग्रहों के उदय अस्त काल के अंश

एकादशामरेंगस्य तिथिसंख्याSर्कजस्य तु। कालांशा भूमिपुत्रस्य दश सप्ताधिकास्तथा॥ पश्चादस्तमयोSष्टाभि: उदय: प्रांमहत्तया। प्रागस्तमुदय: पश्चाद् अल्पत्वाद्दशभि: भृगो:॥

चण्डी पाठ (दुर्गा सप्तशती की महिमा)

दुर्गा सप्तशती(चण्डी पाठ)—अद्भुत शक्तियां प्रदान करता है नवरात्र के दौरान भगवती जगदम्बा को प्रसन्न करने के लिए साधक विभिन्न प्रकार के पूजन करते हैं जिनसे माता प्रसन्न हॉकर उन्हें अद्भुत शक्तियां प्रदान करती हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ विधि-विधान से किया जाए तो माता बहुत प्रसन्न होती हैं। दुर्गा सप्तशती में (700) सात सौ प्रयोग है जो इस प्रकार है:- मारण के 90, मोहन के 90, उच्चाटन के दोसौ (200), स्तंभन के दोसौ (200), विद्वेषण के साठ (60) और वशीकरण के साठ (60)। इसी कारण इसे सप्तशती कहा जाता है। दुर्गा सप्तशती पाठ विधि · सर्वप्रथम साधक को स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए। · तत्पश्चात वह आसन शुद्धि की क्रिया कर आसन पर बैठ जाए। · माथे पर अपनी पसंद के अनुसार भस्म, चंदन अथवा रोली लगा लें। · शिखा बाँध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर चार बार आचमन करें। · इसके बाद प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरुजनों को प्रणाम करें, फिर पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ इत्यादि मन्त्र से कुश की पवित्री धारण करके हाथ में लाल फूल, अक्षत और जल लेकर देवी को अर्पित करें तथा मंत्रों से