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इस संसार का अन्तिम सत्य

धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे नारी गृहद्वार जन: श्मशाने। देहश्चितायां परलोक मार्गे कर्मानुगो गच्छति जीव एक:॥ जब मनुष्य की मृत्यु होती है उस समय उसके द्वारा कमाया हुआ धन-सम्पत्ति, सोना-चाँदी, हीरा-मोती, आभूषण-गहने-जेवर, खेत-जमीन-घर-फ्लैट-कोठी- बंगला आदि इस भूमि में पड़ा रह जाता है। पशु आदि,  गाड़ी-बाईक-कार वाहन आदि भी घर के गोष्ठ में पड़े रह जाते हैं। जिस पत्नी से मनुष्य़ बहुत प्रेम करता था अपनी पत्नी में बहुत आसक्त था वह पत्नी भी घर के द्वार तक ही साथ जाती है। परिवार के सभी सदस्य, इष्ट मित्र, बन्धु-बान्धव, पड़ोसी भी श्मशान तक ही साथ जाते हैं। मनुष्य का अपना शरीर भी चिता की अग्नि में जलकर भस्म हो जाता है। केवल मनुष्य के किये गये कर्म ही उसके साथ जाते हैं। जीव इस संसार में खाली हाथ आया था और अन्त में मृत्यु के बाद ख़ाली हाथ जाता है, अपने साथ कुछ भी लेकर नहीं जाता यहाँ तक की अपना शरीर भी साथ में लेकर नहीं जा सकता। अन्त में जीव को अकेले ही जाना पड़ता है॥ यही संसार का अन्तिम सत्य है॥ इसीलिये मनुष्य को संसार के किसी भी वस्तु में आसक्त नहीं होना चाहिये॥

God is everywhere (ईश्वर सब जगह है)

'' वासुदेव: सर्वम् इति ''  परब्रह्म परमात्मा विश्व ब्रह्माण्ड में सर्वत्र व्याप्त है। ईश्वर सब जगह विराजमान है। आप लोग सोच रहे होंगे आप लोगों का प्रश्न: यदि ईश्वर सब जगह है तो ईश्वर दिखाई क्यों नहीं  देता?            उत्तर: इसका प्रमाण मैं आपको देता हूँ। न्याय दर्शन के अनुसार प्रमाण तीन प्रकार के हैं: 1. प्रत्यक्ष प्रमाण  2. अनुमान प्रमाण  3. शब्द प्रमाण।  बिना कारण के कार्य उत्पन्न नहीं होता है।ब्रह्म कारण है और जगत् कार्य है। ब्रह्म ने संकल्प मात्र से इस जगत् की सृष्टि की। ईश्वर सत्य है वेद इसका प्रमाण है। वेद ईश्वर के श्वास प्रश्वास हैं। अब आप सबको सामान्य उदाहरण देकर समझाता हूँ: आप लोगों ने दूध तो देखा ही होगा पर दूध के अंदर घी होता है या नहीं। जैसे दूध के अंदर घी होता है पर दिखाई नहीं देता  परंतु आप लोग ये नहीं कह सकते कि घी होता ही नहीं है इसी प्रकार ईश्वर सब जगह है पर दिखाई नहीं देता पर आप लोग को ये कहने का अधिकार नहीं है कि ईश्वर नहीं है। जब दूध का मन्थन करने पर क्रमश: दही, माखन और घी निकलता है तब घी दिखाई देता है।  बिना दूध-दही का मन्थन किये घी दिखाई नहीं देगा।