समग्र सृष्टि गणित पर आधारित
गणित की उपयोगिता: "समग्र सृष्टि गणित पर आधारित है" एवम् शून्य का वैज्ञानिक और दार्शनिक सिद्धान्त (Scientific Theory of Zero) सृष्टि संरचना में भी गणित का उपयोग :- सारी सृष्टि गणित की देन है और सारी सृष्टि का ज्ञान गणित से हो सकता है। गणित में शून्य से नौ तक अंक होते हैं। यह सम्पूर्ण विश्व शून्य मय है। ''सर्वम् शून्यमयं जगत्''। जब यह जगत नही था तब केवल शून्य का अस्तित्व था। शून्य निराकार और निर्विकार है। शून्य से ही यह सम्पूर्ण जगत उत्पन्न हुआ है। पृथ्वी भी शून्यमय है, पृथ्वी गोल है और शून्य गोल होता है। आकाश भी शून्यमय है। यह ब्रह्माण्ड(universe) भी शून्य से प्रकट हुआ है और यह ब्रह्माण्ड भी शून्य की तरह गोल है। प्रारंभ में कुछ भी नही था। केवल एक शून्यमय बिन्दु था तब आज से खरबों वर्ष पूर्व बिन्दु विस्फोट(Big bang) हुआ तब उस बिन्दु विस्फोट(Big bang) से यह ब्रह्माण्ड प्रकट हुआ। यह ब्रह्माण्ड ब्रह्म का अंश है इसीलिए इस ब्रह्माण्ड को हिरण्यगर्भ(golden egg) कहा गया है। ''पूर्णमद: पूर्णमिदम् पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥&