संस्कार शब्द का अर्थ

' संस्कार ' शब्द 'सम्' उपसर्ग पूर्वक 'कृञ्' धातु में 'घञ्' प्रत्यय लगाने पर 'संपरिभ्यां करोतौ भूषणे' इस पाणिनीय सूत्र से भूषण अर्थ में 'सुट्' करने पर सिद्ध होता है। इसका अर्थ है----संस्करण, परिष्करण, विमलीकरण तथा विशुद्धिकरण आदि।

संस्कारदीपक में संस्कार को परिभाषित करते हुए कहा गया है----'' तत्र संस्कारो नाम आत्मशरीरान्यतरनिष्ठो विहितक्रियाजन्योSतिशयविशेष: गर्भाधानादौ संस्कारपदं लाक्षणिकम्॥''  अर्थात् आत्मा या शरीर के विहित क्रिया के द्वारा अतिशय आधान को '' संस्कार '' कहते हैं। गर्भाधान आदि मे संस्कार पद  का प्रयोग लाक्षणिक है॥

काशिकावृत्ति के अनुसार उत्कर्ष के आधान को संस्कार कहते हैं-----'उत्कर्षाधानं संस्कार:' ।
संस्कार प्रकाश के अनुसार अतिशय गुण को संस्कार कहा जाता है----'अतिशय विशेष: संस्कार:' ।
मेदिनीकोश के अनुसार संस्कार शब्द का अर्थ है---प्रतियत्न, अनुभव तथा मानस कर्म।
न्याय शास्त्र के मतानुसार गुणविशेष का नाम संस्कार है  जो तीन प्रकार का होता है---वेगाख्य संस्कार, स्थिति स्थापक संस्कार और भावनाख्य संस्कार।

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