God is everywhere (ईश्वर सब जगह है)

'' वासुदेव: सर्वम् इति ''  परब्रह्म परमात्मा विश्व ब्रह्माण्ड में सर्वत्र व्याप्त है। ईश्वर सब जगह विराजमान है। आप लोग सोच रहे होंगे आप लोगों का प्रश्न: यदि ईश्वर सब जगह है तो ईश्वर दिखाई क्यों नहीं  देता?            उत्तर: इसका प्रमाण मैं आपको देता हूँ। न्याय दर्शन के अनुसार प्रमाण तीन प्रकार के हैं: 1. प्रत्यक्ष प्रमाण  2. अनुमान प्रमाण  3. शब्द प्रमाण।  बिना कारण के कार्य उत्पन्न नहीं होता है।ब्रह्म कारण है और जगत् कार्य है। ब्रह्म ने संकल्प मात्र से इस जगत् की सृष्टि की। ईश्वर सत्य है वेद इसका प्रमाण है। वेद ईश्वर के श्वास प्रश्वास हैं। अब आप सबको सामान्य उदाहरण देकर समझाता हूँ: आप लोगों ने दूध तो देखा ही होगा पर दूध के अंदर घी होता है या नहीं। जैसे दूध के अंदर घी होता है पर दिखाई नहीं देता  परंतु आप लोग ये नहीं कह सकते कि घी होता ही नहीं है इसी प्रकार ईश्वर सब जगह है पर दिखाई नहीं देता पर आप लोग को ये कहने का अधिकार नहीं है कि ईश्वर नहीं है। जब दूध का मन्थन करने पर क्रमश: दही, माखन और घी निकलता है तब घी दिखाई देता है।  बिना दूध-दही का मन्थन किये घी दिखाई नहीं देगा। इसी प्रकार इस जगत्, प्रकृति का  मन्थन किये बिना ईश्वर का दर्शन करना सम्भव नहीं है इस जगत् और प्रकृति का नित्य अनुसन्धान  और वैचारिक मन्थन करने पर सर्वव्यापक ईश्वर का दर्शन होता है।  जिस  प्रकार वायु सर्वव्यापी होने पर भी  निराकार होने के कारण दिखाई नहीं देता उस वायु को त्वचा द्वारा स्पर्श करने पर अनुभव कर सकते हो उसी प्रकार ईश्वर हवा की तरह निराकार होने के कारण सर्वव्यापी होने पर भी दिखाई नहीं देता। ईश्वर का केवल अनुभव किया जा सकता है। ब्रह्म का  केवल  अपरोक्ष रूप अनुभूति किया जा सकता है॥

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