गुरूण्डिका भाषा तथा यावनी भाषा का परिचय

रविवारे च सण्डे च फाल्गुने चैव फरवरी।
षष्टिश्च सिक्स्टी ज्ञेया तदुदाहारमीदृशं॥ 
पानीयं च स्मृतं पानी बुभुक्षा भूख उच्यते।
पितृपैतरभ्राता बादर: पतिरेव च॥

तात्पर्य: भविष्य पुराण में कलियुग में भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन है। कलियुग में सम्पूर्ण पृथ्वी पर  म्लेच्छ जाति का साम्राज्य होगा, म्लेच्छ जाति म्लेच्छ भाषा का प्रयोग करेगी। म्लेच्छ भाषा के कई भेद है जिसमे से दो म्लेच्छ भाषायें मुख्य हैं: 1.यावनी 2. गुरूण्डिका॥ इसी प्रकार म्लेच्छ जाति भी दो प्रकार की है: 1. यवन 2. गुरूण्ड॥ यवन का अर्थ है ' ' मुस्लिम तुर्क जाति या मंगोल जाति ' ' एवम् गुरूण्ड का अर्थ है ' ' अंग्रेज(ब्रिटिश) ' '॥ इस प्रकार भविष्यपुराण में  यावनी का अर्थ हुआ:  फारसी लिपि में लिखी हुई ''अरबी तथा फारसी भाषा' '। गुरूण्डिका का अर्थ हुआ ''अंग्रेजी(इंग्लिश) भाषा''॥
गुरूण्डी भाषा में रविवार का नाम  सण्डे होगा, फाल्गुन महिना का नाम फरवरी होगा, षष्टि शब्द का अर्थ सिक्स्टी होगा॥

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