नकली संतों का पर्दाफाश


मिडिया तंत्र, व्यापार तंत्र और राजतन्त्र इन तीन तंत्रों के द्वारा जो बाबा उठाए जाते है , इन्ही के द्वारा गिरा भी दिए जाते है , यह सब काण्ड तांत्रिक चन्द्रास्वामी से प्रारंभ हुआ, भारत के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री पी.वी . नरसिम्हाराव ने उन्हें उठाया था, दलाल बनाया था , तो जो राजनेता , मिडिया और व्यापारियों द्वारा जो बाबा कथावाचक बनाए जाते है , उन्ही के द्वारा गिरा भी दिए जाते है॥
गिराए कब जाते है ? जब इनसे सौदा नहीं पटता तब , अगर सौदा अंतिम साँस तक पट जाए तो कितने भी व्यभिचारी हो , दुराचारी हो जेल के शिकंजे में नहीं,  स्वर्ग में रहते है भारत में॥
मै उदाहरण देता हूँ – आंध्र प्रदेश में एक साईंबाबा थे , उनके शव को देखने के लिए मनमोहनसिंह जी पहुंचे , सोनियाजी पहुंची या नहीं , वे जेल के शिकंजे में गए क्या ? लेकिन उनके कमरे में ऐशोआराम की कितनी चींजे थी, और जीवनकाल में क्या क्या होता था , सब छुपता था,  मै तो नहीं जानता॥
इसका मतलब अंतिम समय तक उन्होंने इन तीनो तंत्रों से सामंजस्य साध के रखा , अब कोई कितना ही बुरा हो , शासनतंत्र , व्यापारतंत्र और मिडियातंत्र को कुछ भी लेना देना नहीं , अगर आप तीनो में से किसी से भी सामंजस्य साधने में चुक गए तो जेल आपके लिए तैयार है॥
अब उसमे देखिए कांची कामकोटि मठ के जगद्गुरू शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को अंत में न्यायालय ने निरपराध निर्दोष सिद्ध कर दिया, लेकिन क्या दुर्दशा कर दी , न्यायालय ने तो निरपराध सिद्ध किया लेकिन उनके ऊपर डाका डालने का , व्यभिचार का , मरवाने का सारा अभियोग लगा दिया गया , क्यों लगवा दिया ? तीनो तंत्रों में किसी तंत्र से सामंजस्य बैठाने में चुक गए , तो जेल जाने के लिए तैयार रहो।
भारत की स्वतंत्रता के पहले ऐसे बाबा कहाँ होते थे ? उस समय परंपरा से व्यक्ति जब वेश धारण करता था , गुरू शिष्य परम्परा से॥
रावण का बनाया हुआ कथावाचक कौन था ?
असुर कालनेमि किसके द्वारा नकली कथावाचक  बनाया गया था? रावण के द्वारा बनाया गया था और इतना विमोहक था कि हनुमानजी भी थोड़ी देर के लिए चपेट में आ गये और कालनेमि भविष्यवाणी करने लगा, रामजी विजयी होंगे, रावण ने भी एक ही नकली कथावाचक कालनेमि को  बनाया दस बीस नहीं बनाया था। रावण ने एक नकली कथावाचक अपना काम साधने के लिए बनाया। अब पचास कथा वाचक बनाए जाते हैं॥
यह भाजपाई संत , कथावाचक , यह कांग्रेसी संत , कथावाचक , यह सपाई संत , यह बसपाई संत , मुलायमसिंह ने तो चार चार शंकराचार्य बना दिए , तीन तीन शादियाँ करने वाले को चार पीठ का शंकराचार्य बनाकर घुमाना प्रारंभ कर दिया , समझ गए , इन राजनेताओं का दुस्साहस कितना ?
हम आज यह कह दें कि यह प्रधानमंत्री तो कहा जाएगा इनका दिमाग कैसा ? लेकिन यह राजनेता चार चार पीठ के शंकराचार्य बना देते है , भाजपा के शंकराचार्य , विश्व हिन्दू परिषद् के शंकराचार्य, इसका मतलब ?
यह विदेशी षड्यंत्र है – अच्छा बुरा न मानो होली है , अगर चर्चकाण्ड खुलकर कह दिया जाए तो विश्व में कोई चर्च की ओर आँख उठाकर देखेगा , चर्च में जो कुछ काण्ड होता है अगर वह मिडिया का विषय बना दिया जाए तो कोई आँख उठाकर देखेगा चर्च की ओर , अपने तंत्र को बहुत बुरा होने पर भी बहुत संभलकर रखते है और हमारे तंत्र को विकृत करने का पूरा प्रयास करते है !
आपके प्रश्न का उत्तर यही है , धर्म और ईश्वर के बल पर जो बाबा बनते है , उनको नीचा दिखाने में कोई समर्थ नहीं है और राजनीति, मिडिया और व्यापारतंत्र के द्वारा जो बाबा संत बनते है , वह कभी भी चार खाने चित्त हो जाते है।

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