शिव, शंकर, महादेव एवं महेश्वर का अर्थ

शिरिति मङंगलार्थं च वकारो दातृवाचकः। मङंगलानां प्रदाता यः स शिवः परिकीर्तितः।।
नराणां संततं विश्वे शं कल्याणं करोति यः। कल्याणं मोक्षवचनं स एवं शंकरः स्मृतः।।
ब्रह्मादीनां सुराणां च मुनीनां वेदवादिनाम्। तेषां च महतां देवो महादेवः प्रकीर्तितः।।
महती पूजिता विश्वे मूलप्रकृतिरीश्वरी। तस्या देवः पूजितश्च महादेवः स च स्मृतः।।
विश्वस्थानां च सर्वेषां महतामीश्वरः स्वयम्। महेश्वरं च तेनेमं प्रवदन्ति मनीषिणः।।(ब्रह्मवैवर्त महापुराण प्रकृतिखण्ड अध्याय 56। श्लोक 63-67)

‘शि’ यह मंगलवाचक है और ‘व’ कार का अर्थ है दाता। जो मंगलदाता है, वही ' ' शिव ' ' कहा गया है। जो विश्व के मनुष्यों का सदा ‘शं’ अर्थात् कल्याण करते हैं, वे ही ' ' ' शंकर ' ' कहे गये हैं। शंकर का अर्थ है ' ' शं करोतु' '। शं का अर्थ है ' ' कल्याण' '। इस तरह शं करोतु का अर्थ हुआ ' ' कल्याण करने वाला। शंकर का अर्थ है ' ' कल्याण करने वाला' '॥ कल्याण का तात्पर्य यहाँ मोक्ष से है। ब्रह्मा आदि देवता तथा वेदवादी मुनि– ये महान् कहे गये हैं। उन महान् पुरुषों के जो देवता हैं, उन्हें ' ' महादेव' ' कहते हैं। सम्पूर्ण विश्व में पूजित मूलप्रकृति परमेश्वरी को महती देवी कहा गया है। उस महादेवी के द्वारा पूजित देवता का नाम महादेव है। विश्व में स्थित जितने महान् हैं, उन सबके वे ईश्वर हैं। इसलिये मनीषी पुरुष इन्हें ' ' महेश्वर' ' कहते हैं।

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