Posts

Showing posts from December, 2017

नटराज स्तुति

सत सृष्टि ताण्डव रचयिता नटराज राज नमो नम:। हे गुरू आद्य शंकर पिता नटराज राज नमो नम:॥ सत सृष्टि ताण्डव रचयिता नटराज राज नमो नम:॥ गम्भीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्माण्ड मा। न...

गोपियों द्वारा उद्धवजी को प्रेमयोग का महत्व बताना

ये तो प्रेम की बात है ऊधो बन्दगी तेरे बस की नहीं है। यहाँ सर दे के होते हैं  सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है॥ ये तो प्रेम की बात की बात है ऊधो बन्दगी तेरे बस की नहीं है॥ ये तो प्रे...

चार प्रकार की वाणी

वाणी चार प्रकार की होती है : 1. परा वाणी 2. पश्यन्ती वाणी  3. मध्यमा वाणी 4. वैखरी वाणी

भारतीय दर्शन (Indian Philosophy)

दर्शन दो प्रकार के हैं :1. नास्तिक दर्शन  2.आस्तिक दर्शन  नास्तिक दर्शन तीन प्रकार के हैं : 1. चार्वाक दर्शन (लोकायत दर्शन) (महर्षि चार्वाक) 2. बौद्ध दर्शन (वैभाषिक, सौत्रांतिक, योगा...

सनातन धर्म के अद्वैत वेदान्त दर्शन सम्बन्धी ग्रन्थ एवं स्तोत्र

1. उपदेश साहस्री  2. आत्म बोध  3. तत्त्व बोध 4.  पंचीकरणम्   5. अपरोक्षानुभूति  6. विवेक चूड़ामणि  7. महर्षि उपवर्ष कृत उपवर्ष वृत्ति 8. ब्रह्मसूत्र पर आदि शंकराचार्य कृत शारीरक भाष्...

वेदान्त के चार महावाक्य

1. प्रज्ञानं ब्रह्म (ऋग्वेद का ऐतरेय उपनिषद्  के अध्याय 3 खण्ड 1 मन्त्र 3)----- Consciousness is Brahman) 2. अहम् ब्रह्मास्मि (यजुर्वेद का वृहदारण्यक उपनिषद् के अध्याय 1 ब्राह्मण 4 मन्त्र 10)------ I am brahma 3. तत्त्वमसि (सा...

व्यवसायात्मिका बुद्धि और निश्चयात्मिका बुद्धि(ऋतम्भरा प्रज्ञा)

प्रज्ञा(बुद्धि) दो प्रकार की होती है: 1. व्यवसायात्मिका बुद्धि 2. निश्चयात्मिका बुद्धि(ऋतम्भरा प्रज्ञा) भगवान् श्रीकृष्ण ने श्रीभगवद् गीता के द्वितीय अध्याय सांख्य योग मे...

अपरा विद्या और परा विद्या(अध्यात्म विद्या) (Physics and Meta Physics)

विद्या दो प्रकार की होती है: 1.अपरा विद्या(Physics) 2. परा विद्या(Meta Physics) बुद्धि(प्रज्ञा) भी दो प्रकार की होती है: 1. व्यवसायात्मिका बुद्धि 2. निश्चयात्मिका बुद्धि(स्थितप्रज्ञ, ऋतम्भरा प्रज्...

अपरा प्रकृति और परा मूल प्रकृति(Nature and Superior Nature)

प्रकृति दो प्रकार की होती है(There are two types of Nature): 1. अपरा प्रकृति(Nature) 2. प्रधान मूल प्रकृति(Superior Nature) श्रीमद भगवद् गीता और दुर्गा सप्तशती में अपरा प्रकृति और प्रधान मूल प्रकृति का विस्तृत वर्णन है। ...

अपरा विद्या(Physics) के द्वारा अपरा प्रकृति(Nature) के रहस्य का ज्ञान

भूमिरापोsनलो वायु: खं मनो बुद्धिरेव च। अहंकारं इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टधा॥ (गीता) क्षिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा॥ (रामचरित मानस) एषा सा वैष्णवी माया म...

आत्मा का अमरत्व(सांख्य योग)

न जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः | अजो नित्यः शाश्वतोSयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे || न – कभी नहीं; जायते – जन्मता है; म्रियते – मरता है; कदाचित् – कभी ...