मस्तिष्क में छुपा पारलौकिक ज्ञान का रहस्य

मस्तिष्क में छुपा पारलौकिक ज्ञान का रहस्य

वैज्ञानिकों ने आखिरकार मस्तिष्क के उन हिस्सों का पता लगाने में कामयाबी हासिल कर ली है। जहाँ से पारलौकिक ज्ञान उत्पन्न होता है।
इससे यह बात संभवतः प्रमाणित हो गई है कि मस्तिष्क के कुछ विशेष हिस्सों से ईश्वरीय कृपा से ईश्वरीय ज्ञान की अनुभूति करते हैं ।

इटली के उदीन विश्वविद्यालय के संवेदीतंत्रिका विज्ञानी कोसिमो उरगेसी, रोमके सैपिएंजा विश्वविद्यालय के संवेदी तंत्रिका विज्ञानी साल्वातोर एग्लिओती ने मस्तिष्क ट्यूमर के 88 मरीजों के साथ साक्षात्कार के बाद यह निष्कर्ष निकाला है।
इन मरीजों से ऑपरेशन से पहले और उसके बाद कुछ सच्चे या झूठे सवाल पूछकर उनके आध्यात्मिक स्तर का आकलन किया गया।
उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने खुद को कालातीत अनुभव किया। किसी अन्य व्यक्ति और प्रकृति के साथ उन्हें तादात्म्य की अनुभूति हुई और क्या वह किसी उच्च सत्ता में विश्वास रखते हैं।

अध्ययन से पता चला कि मस्तिष्क ट्यूमर के जिन मरीजों के पैरिएटल कोर्टेक्स (पार्श्विक प्रांतस्था) में मस्तिष्क के पिछले हिस्से से ट्यूमर हटा दिया गया था। उन्होंने ऑपरेशन के तीन से सात दिन के बाद दिव्य ज्ञान की गहरी अनुभूति होने की बात कही, लेकिन जिन मरीजों के मस्तिष्क के आगे के हिस्से से ट्यूमर निकाला गया था। उनके साथ यह घटना नहीं हुई।एग्लिओती ने कहा कि यह माना जाता था कि पारलौकिक ज्ञान का चिंतन दार्शनिकों और नए जमाने के झक्की लोगों का विषय है, लेकिन यह वास्तव में आध्यात्मिकता पर पहला गहन अध्ययन है। हम एक जटिल तथ्य का अध्ययन कर रहे हैं, जो मनुष्य होने का सारतत्व समझने के करीब की बात है।

शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क के दो हिस्सों की तरफ इशारा किया है, जो नष्ट होने पर आध्यात्मिकता के विकास की तरफ ले जातेहैं। पहला है- कान के पास बगल में नीचे की तरफ का हिस्सा जिसे जनेऊ पहनने वाले शौच के समय कस देते हैं और दूसरा है- दाहिनी तरफ कोणीय जाइरस (कर्णक) जहाँ शिखा की गाँठ स्पर्श करती है ।

ये दोनों मस्तिष्क के पिछले भाग में स्थित हैं और इन्हीं से पता लगता है कि व्यक्ति आकाशीय तत्व में स्थित ऊर्जा से अपने शरीर को बाहरी दुनिया से किस तरह जोड़ लेता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके निष्कर्ष पारलौकिक अनुभवोंऔर शरीर से अलग होने पर होने वाली अनुभूति के बीच के संबंध को प्रमाणित करते हैं।

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