उपवर्ष वृत्ति और भाष्यकार जगद्गुरु भगवत्पाद आदि शंकराचार्य

भगवान् वेदव्यास जी के ब्रह्मसूत्र पर वृत्तिकार उपवर्ष ने वृत्ति लिखी जो उपवर्ष वृत्ति के नाम से प्रसिद्ध है। वृत्तिकार उपवर्ष ने अद्वैतवाद का प्रतिपादन किया। भाष्यकार जगद्गुरु भगवत्पाद आदि शंकराचार्य ने उपवर्ष वृत्ति के आधार पर ब्रह्मसूत्र पर शारीरक भाष्य लिखा और अद्वैत सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।  ''ब्रह्म सत्यम् जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैवनापर:'' अर्थात् ब्रह्म सत्य है जगत् असत्य है मिथ्या है सपना है, जीव और ब्रह्म एक ही है,  जीव और ब्रह्म में कोई भेद नहीं है। रामचरितमानस में भी गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं: उमा कहऊँ मै अनुभव अपना। सत हरि भजन जगत् सब सपना॥

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