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नाड़ी दोष का परिहार

एक नक्षत्र जातानां नाड़ी दोषो न विद्यते। अन्यर्क्षपति वेधेषु   विवाहो वर्जित: सदा॥ 1. वर एवं कन्या दोनों की नाड़ी एक ही हो नाड़ी दोष हो तो वर एवं कन्या दोनों का जन्म नक्षत्र एक ही होना चाहिये परंतु दोनों के एक  नक्षत्र में चरण अलग-अलग होना चाहिये तो नाड़ी दोष नष्ट हो जाता है॥  2. नाड़ी दोष होने की स्थिति में वर एवं कन्या दोनों का  जन्म नक्षत्र एक ही हो परंतु दोनों की जन्म राशि अलग अलग होनी चाहिये तो नाड़ी दोष नष्ट हो जाता है। राशि परिवर्तन सिर्फ कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, उत्तराफाल्गुनी, चित्रा, विशाखा,उत्तराषाढा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपदा इन नक्षत्रों में ही होता है॥

तेल लगाने वाले दिन

तैलाभ्यंगे रवौ ताप: सोमे सौख्यं कुजे मृति:। बुधे धनं गुरौ हानि:   शुक्रे दु:खं शनौ सुखम्॥

विशिष्ट अद्वैत दर्शन (श्री सम्प्रदाय की गुरु परम्परा)

लक्ष्मीनाथ समारम्भां नाथयामुन मध्यमाम्। अस्मदाचार्य   पर्यन्तां    वंदे गुरु परम्पराम्॥ नमो नमो यामुनाय       यामुनाय नमो नम:। नमो नमो यामुनाय      यामुनाय नमो नम :॥